बुधवार, 11 अगस्त 2010

धूमिल की कविता

हर तरफ धुआं है
हर तरफ कुहासा है
जो दांतों और दलदलों का दलाल है
वही देश भक्त है
अंधकार में सुरक्षित होने का नाम है -
तटस्थता। यहाँ
कायरता के चेहरे पर
सबसे ज़यादा रक्त है।
जिसके पास थाली है
हर भूखा आदमी
उसके लिए, सबसे भद्दी
गाली है।
हर तरफ कुआँ है
हर तरफ खाई है
यहाँ, सिर्फ, वह आदमी देश के करीब है
जो या तो मूर्ख है
या फिर गरीब है।
में सोचता रहा....

धूमिल की कविता 'पटकथा' के अंश
राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली
सातवाँ संस्करण 2009, पृष्ठ 105-106

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