बुधवार, 23 जून 2010

रामकुमार ओझा जी के यात्रा वृतांत


रामकुमार ओझा जी के यात्रा वृतांत की पुस्तक ' तन धूलि धूसर मन गौरी शंकर' बोधि से आने वाली है। प्रस्तुत हैं इस अनछपी किताब के कुछ पन्ने-

पेज 2


पेज 2

पेज 3


पेज ३

पेज 4


पेज ४

पेज 5

मंगलवार, 22 जून 2010

रामकुमार ओझा


बोधि प्रकाशन को जिन 'बड़ों' का आशीर्वाद मिला है उनमें से अग्रिम पंक्ति में आते हैं स्व रामकुमार ओझा।

बोधि की पहली किताब


बोधि प्रकाशन से प्रकाशित पहली किताब थी लछमन दास गिददा की - सूरज की सलीब (1995)

इसका कवर बनाया मेधातिथि जोशी ने। यह कवर स्क्रीन प्रिंटिंग से छापा गया था।

शनिवार, 12 जून 2010

पुस्तक पर्व पर हुई बहस के बारे में लक्ष्मी शर्मा का आलेख

बोधि पुस्तक पर्व पर चल रही चर्चाओं पर डॉक्टर लक्ष्मी शर्मा ने एक टिप्पणी की है। मित्रों के लिए यहाँ जस की तस रख रहा हूँ।

पिछले दिनों मायामृग ने पुस्तक पर्व के नाम पे जो दुष्कृत्य (?) किया उससे साहित्यिक जगत (??)में भारी उद्वेलन उत्पन्न हुआ और इस प्रकरण पर काफी गंभीर (???) वैचारिक (????) विमर्श(?????) भी हुआ।अब तो ठंडा भी पड़ने लगा है। फिर भी आप्त वाक्य या अंतिम टिप्पणी एक लतीफे के रूप में -एक पति था .पति जैसा( पति परम गुरु )पति। और एक पत्नी थी ,पत्नी जैसी (कार्येषु दासी, क्षमा धरित्री ...)पत्नी। तो दोनों साथ रहते, पत्नी खाना बनाती और पति नुक्स निकालते .(भई विवाह सिद्ध अधिकार जो ठहरा )एक दिन पत्नी ने अंडा बनाया पति ने प्लेट फैंक दी -किसने कहा अंडा बनाने को ?अगले दिन पत्नी ने आमलेट बनाया ,पति ने थप्पड़ जमाया -मूर्ख ,किसने कहा आमलेट बनाने को? अगले दिन पत्नी ने एक प्लेट में उबला अंडा और एक प्लेट में आमलेट बना के रखा, पति ने लात मारी -बेवकूफ ये भी नहीं जानती किस अंडे को उबालना होता है और किस का आमलेट बनाना होता है। जय हो .

शुक्रवार, 11 जून 2010

विष्णु नागर जी का आलेख


नई दुनिया साप्ताहिक के ६ जून २०१० के अंक में विष्णु नागर जी ने बोधि पुस्तक पर्व पर आलेख लिखा है। मित्रों के अवलोकन हेतु यहाँ अविकल प्रस्तुत है।

शुक्रवार, 4 जून 2010

बनास का नया अंक


उदयपुर के साथी पल्लव से प्राप्त सूचना के अनुसार बनास पत्रिका का नया अंक प्रकाशित हो गया है। इसकी छवि यहाँ देख सकते हैं और पत्रिका पल्लव जी से माँगा सकते हैं पल्लव जी का मोबाइल नंबर है -9414732258

बुधवार, 2 जून 2010

क्या कहूं

बोधि पुस्तक पर्व पर आपके उत्साह को देखकर मैं समझ नहीं पा रहा कि क्या कहूँ बस आपके स्नेह के प्रति नतमस्तक हूँ। भाई दुलाराम सहारण ने तो बिलकुल संकोच में ही डाल दिया है। जितनी तारीफ आप कर रहे हैं मुझे स्वीकार कर पाने में कठिनाई हो रही है। क्या कहूं, बस आपका प्यार ऐसे ही बना रहे। रास्ता है लम्बा भाई मंजिल है दूर, हिम्मत से बढ़ेंगे मिलके जरूर ----

मंगलवार, 1 जून 2010

श्री नंदकिशोर आचार्य का संबोधन


लोकार्पण पर संबोधन


श्री विजेंद्र

आभार

बोधि पुस्तक पर्व के प्रति आपके अपार स्नेह के लिए हार्दिक धन्यवाद। आपका स्नेह एवं सहयोग इसी प्रकार बना रहे। एक बार फिर से आपका आभार।