मंगलवार, 6 जुलाई 2010

मुलाकात हुई-कुछ बात हुई

इस रविवार को चूरू से भाई दुला राम, भाई उम्मेद गोठवाल और जयपुर के मित्र सुरेन्द्र सहारण जवाहर कला केंद्र में मिले। फेसबुक पर हुई मुलाकात ज़मीन पर उतरी, अच्छा लगा। सच, गाँव-कस्बे से आया हुआ व्यक्ति शहर में कितना अजनबी सा रहता है कि अपने आस-पास के इलाके से किसी के आने-मिलने पर नए सिरे से जी उठता है। कहने को भले ही दुनिया एक गाँव बन गई है लेकिन अपना गाँव कैसा लगता है यह तो एक गाँव के दो जने मिलने पर ही पता लगता है। क्या मैंने कुछ गलत कहा?

2 टिप्‍पणियां: