इस बार दिल्ली में J N U के आलावा जिन साथियों से मुलाकात संभव हो पाई वे हैं, भाई पृथ्वी परिहार और पंकज नारायण। पृथ्वी P T I में हैं और ख़बरों की तह तक जाने में विश्वास करते हैं। उनसे मिलना जैसे अपने आप से मिलना है। वाही ग्रामीण सादगी और बोद्धिक होते हुए भी दिमाग को दिल पर हावी ना होने देना। उनके साथ चाय का आनंद लिया और मंडी हाउस में युवा मित्र पंकज नारायण से मिलने चला गया।
पंकज में कुछ खास है। वे स्वभाव से विद्रोही हैं और अपना रास्ता खुद बनाने वालों में हैं। बेहद संवेदनशील यह कवि मित्र ऐसे मिले जैसे बरसों से बिछुड़े दो भाई अकस्मात मिल जाएँ कहीं॥ ऐसे प्यारे दोस्त फेस बुक से मिले हैं।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
शोभनम्
जवाब देंहटाएंdhanyavad Aanand ji
जवाब देंहटाएं