कामरेड ज्योति बासु ने देहदान कर अपनी प्रतिबद्धता का अंतिम अध्याय हमारे सामने खोल दिया। इससे पहले जनकवि हरीश भादानी ने भी देहदान कर मिसाल कायम की। हनुमानगढ़ के कामरेड jaturam ने ऐसा ही उदाहरण प्रस्तुत किया। जयपुर के रामेश्वर शर्मा भी जाते जाते संसार को कुछ देकर ही गए।
ये प्रसंग हमारे लिए आदर्श तो प्रस्तुत करते हैं साथ ही कुछ सवाल भी खड़े करते हैं। इन्होने जिन मेडिकल स्टुडेंट्स के हित में अपनी देह दान में दी उनकी नैतिक स्थिति क्या है? डॉक्टर बनकर समाज में कदम रखने वाले ये स्टुडेंट्स इस देहदान की कीमत किस तरह चुकाते हैं ये आपसे छिपा नहीं है। नोबेल प्रोफ़शन कहे जाने वाले इस क्षेत्र में कितने नोबेल लोग बचे हैं?
आपकी राय इस मुद्दे पर आमंत्रित है कि क्या देहदान के हवाले से इन भावी doctors को किसी नैतिक बंधन में नहीं बांधा जाना चाहिए? क्या देहदान सशर्त होना चाहिए?
आपके विचार इस मुद्दे को गंभीर विमर्श का मुद्दा बनायेंगे, इस आशा के साथ....
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नैतिकता और अनैतिकता
जवाब देंहटाएंपता नहीं किस को कौन सिखायेगा?
स्वत:स्फूर्त भी अब सिखाने का
समय आ गया है लगता है
औए केवल डाक्टर ही क्यों?
क्यों नही धनात्मक ऊर्जा पर ही ध्यान दिया जाये?
इतनी धनात्मक ऊर्जा फैला दी जाये की ऋणात्मक ऊर्जावान
अपने आप ही सीखना शुरु कर दें ।
स्वागत है
इसी ऊर्जा से लिखते रहें।
ांअपने सही मुद्द उठाया है देह दान सशर्त होना चाहिये। शुभकामनायें। ब्लागवुद मे आपका स्वागत है।
जवाब देंहटाएंब्लोग जगत में आपका स्वागत है। लिखते रहें और मेरे ब्लोग पर भी पधारें।
जवाब देंहटाएंnarayan narayan
जवाब देंहटाएंविजय विश्व तिरंगा प्यारा ,झंडा ऊँचा रहे हमारा
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की शुभ कामनाए*
हिंदी ब्लाग लेखन के लिये स्वागत और बधाई । अन्य ब्लागों को भी पढ़ें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देने का कष्ट करें
जवाब देंहटाएंकली बेंच देगें चमन बेंच देगें,
जवाब देंहटाएंधरा बेंच देगें गगन बेंच देगें,
कलम के पुजारी अगर सो गये तो
ये धन के पुजारी
वतन बेंच देगें।
हिंदी चिट्ठाकारी की सरस और रहस्यमई दुनिया में प्रोफेशन से मिशन की ओर बढ़ता "जनोक्ति परिवार "आपके इस सुन्दर चिट्ठे का स्वागत करता है . . चिट्ठे की सार्थकता को बनाये रखें .http://www.janokti.com/ ,
मायामृग जी को प्रणाम।
जवाब देंहटाएंआपके द्वारा राजस्थानी साहित्य को दी जा रही सेवाएं सराहनीय हैं।
कोटि कोटि अभिवादन।
ब्लॉग पर लिखते रहें, हम पढ़ते रहेंगे।
स्वागत
सादर
aap sabhi ko hardik dhanayvad.
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